अफवाह नहीं, जागरूकता से रोकेंगे तीसरी लहर - मुहम्मद साहिल सैफ़ी
हमने कोरोना की दूसरी लहर में वो मंज़र भी देखे हैं, जब शमशान में जलाने के लिए लकड़ियाँ और ज़मीन की कमी हो गयी थी। वो मंजर भी देखें हैं जब कब्रिस्तानों में जगह नही बची थी, एक कब्र में 3-3 मुर्दे दफनाए जा रहे थें। हम इस मंजर को कैसे भूल सकते हैं, हमने अपने आंखों से देखा है इस मंजर को। हमने देखा है ऐसे-ऐसे नौजवानों को मौत के मुँह में समाते हुए जो बिल्कुल स्वस्थ दिखा करते थें, हमने एक महामारी देखी हैं।
अब देश मे कोरोना के अलग वैरिएंट, यानी ओमिक्रोन वैरिएंट ने दस्तक दे दी है और देश मे एक्टिव केस लगातार बढ़ते जा रहे हैं। केस में बढ़ोतरी के मुख्य कारण या तो डर है या फिर जागरूकता का ना होना। बड़े-बड़े वैज्ञानिक चेतावनी दे चुके हैं कि अगर वक़्त रहते कोई बड़ा कदम न उठाया गया तो हमे इसका खामियाजा भुगतना पड़ सकता है। IIT और AIIMS जैसे संस्थान भी बोल चुके हैं कि फ़रवरी के मध्य पीक आ सकती है।
इन सबके बीच एक मुख्य प्रश्न ये उठता है कि आख़िर इस परिस्तिथि से कैसे बचा जाए ? आइये हम मिलकर चिंतन करते हैं ।
इस परिस्तिथि से बचने के लिए सबका साथ होना बहुत जरूरी है, हर व्यक्ति को अपने स्तर से प्रयास करना होगा। हर पढ़े-लिखे युवा व नागरिक की ये ज़िम्मेदारी है कि वह जागरूकता फैलाये और इस वैरिएंट को रोकने में मदद करे। आजकल मीडिया में ये बहुत देखने को मिल रहा कि अगर तीसरी लहर आएगी तो इतनी जाने जा सकती है, इन चीज़ों की कमी हो सकती है, अस्पताल में बेड कम पड़ सकते हैं, इतनी मौते रोज़ हो सकती है, वगैरह-वगैरह। मीडिया को अब इस बात को समझना होगा कि ये वक़्त अफवाह फैलाने का नही बल्कि जागरूकता फैलाने का है। । मीडिया अपने स्तर से ये प्रचार-प्रसार करे कि कैसे वैरिएंट को फैलने से रोक सकते हैं, कैसे मास्क का उपयोग संक्रमण रोक सकता है, कैसे सामाजिक दूरी हमे फायदा पहुँचा सकता है।
जो जिस स्तर पे है, वो वही से प्रयास करे। अगर आप एक शिक्षक हैं तो अपने छात्रों के बीच जागरूकता फैलाइये, अगर आप एक डॉक्टर हैं तो मरीजों के बीच जागरूकता फैलाइये, अगर आप एक फार्मासिस्ट हैं तो लोगों के बीच जागरूकता फैलाइये, अगर आप एक नेता हैं तो अपने क्षेत्र में जागरूकता फैलाइये।
जागरूकता फैलाने के लिए आपको किसी बड़े ओहदे पे बैठना शर्त नही है, आप अपने स्तर से जागरूकता फैला सकते हैं।
तो आइए, हाथों में हाथ को थाम लीजिये, एक कसम खा के मैदान में उतरिये की इस बार हम सरकार के भरोसे नही रहेंगे, हम अपने स्तर से प्रयास करेंगे और कोरोना के खिलाफ लड़ाई में अपनी भागीदारी सुनिश्चित करेंगे।
बेशक ! आप भी एक कोरोना वारियर हैं।
इंसानियत जिंदाबाद !